भारतीय नव वर्ष का ऐतिहासिक महत्व
१. यह दिन सृष्टि रचना का पहला दिन है। इस दिन से एक अरब ९७ करोड़ ३९ लाख ४९ हजार १०९ वर्ष पूर्व इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्मा जी ने जगत की रचना प्रारंभ की। २. विक्रमी संवत का पहला दिन: उसी राजा के नाम पर संवत् प्रारंभ होता था जिसके राज्य में न कोई चोर हो, न अपराधी हो, और न ही कोई भिखारी हो। साथ ही राजा चक्रवर्ती सम्राट भी हो। सम्राट विक्रमादित्य ने २०६७ वर्ष पहले इसी दिन राज्य स्थापित किया था।
४. नवरात्र स्थापना: शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही है। प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन।
५. गुरू अंगद देव प्रगटोत्सव: सिख परंपरा के द्वितीय गुरू का जन्म दिवस।
६. आर्य समाज स्थापना दिवस: समाज को श्रेष्ठ (आर्य) मार्ग पर ले जाने हेतु स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन को आर्य समाज स्थापना दिवस के रूप में चुना।
७. संत झूलेलाल जन्म दिवस: सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
८. शालिवाहन संवत्सर का प्रारंभ दिवस: विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।
९. युगाब्द संवत्सर का प्रथम दिन: ५११२ वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
भारतीय नव वर्ष का प्राकृतिक महत्व
१०. वर्ष प्रतिपदा: वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
११. फसल पकने का प्रारंभ यानी किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
१२. शुभ मुहूर्त: नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।
राष्ट्र प्रेम
मोरारजी देसाई को जब किसी ने पहली जनवरी को नव वर्ष की बधाई दी तो उन्होंने उत्तर दिया था- किस बात की बधाई? मेरे देश और देश के सम्मान का तो इस नव वर्ष से कोई संबंध नहीं।
यही हम लोगों को भी समझना और समझाना होगा। क्या १ जनवरी के साथ ऐसा एक भी प्रसंग जुड़ा है जिससे राष्ट्र प्रेम जाग सके, स्वाभिमान जाग सके या श्रेष्ठ होने का भाव जाग सके आइए, विदेशी को फैंक स्वदेशी अपनाएं और गर्व के साथ भारतीय नव वर्ष यानि विक्रमी संवत् को ही मनायें तथा इसका अधिक से अधिक प्रचार करें।
हिन्दी महीने
जिस तरह जनवरी अंग्रेज़ी का पहला महीना है उसी तरह हिन्दी महीनों में चैत वर्ष का पहला महीना होता है। हम इसे कुछ इस तरह से समझ सकते हैं-
मार्च- अप्रैल -- चैत्र (चैत)
अप्रैल- मई -- वैशाख (वैसाख)
मई- जून -- ज्येष्ठ (जेठ)
जून- जुलाई -- आषाढ़ (आसाढ़)
जुलाई- अगस्त -- श्रावण (सावन)
अगस्त- सितम्बर -- भाद्रपद (भादो)
सितम्बर- अक्टूबर -- अश्विन (क्वार)
अक्टूबर-नवम्बर -- कार्तिक (कातिक)
नवम्बर- दिसम्बर -- मार्गशीर्ष (अगहन)
दिसम्बर- जनवरी -- पौष (पूस)
जनवरी- फरवरी -- माघ
फरवरी- मार्च -- फाल्गुन (फागुन)
नव वर्ष ज़रूर मनाएं परन्तु इस बार ११ अप्रैल को हर्षोल्लास के साथ ताकि दुनिया को भी पता चले कि हमें अपनी संस्कृति जान से ज्यादा प्यारी है !
जय भारत !
• राजीव पाल/फ़ेसबुक
७. संत झूलेलाल जन्म दिवस: सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
८. शालिवाहन संवत्सर का प्रारंभ दिवस: विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।
९. युगाब्द संवत्सर का प्रथम दिन: ५११२ वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
भारतीय नव वर्ष का प्राकृतिक महत्व
१०. वर्ष प्रतिपदा: वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
११. फसल पकने का प्रारंभ यानी किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
१२. शुभ मुहूर्त: नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।
राष्ट्र प्रेम
मोरारजी देसाई को जब किसी ने पहली जनवरी को नव वर्ष की बधाई दी तो उन्होंने उत्तर दिया था- किस बात की बधाई? मेरे देश और देश के सम्मान का तो इस नव वर्ष से कोई संबंध नहीं।
यही हम लोगों को भी समझना और समझाना होगा। क्या १ जनवरी के साथ ऐसा एक भी प्रसंग जुड़ा है जिससे राष्ट्र प्रेम जाग सके, स्वाभिमान जाग सके या श्रेष्ठ होने का भाव जाग सके आइए, विदेशी को फैंक स्वदेशी अपनाएं और गर्व के साथ भारतीय नव वर्ष यानि विक्रमी संवत् को ही मनायें तथा इसका अधिक से अधिक प्रचार करें।
हिन्दी महीने
जिस तरह जनवरी अंग्रेज़ी का पहला महीना है उसी तरह हिन्दी महीनों में चैत वर्ष का पहला महीना होता है। हम इसे कुछ इस तरह से समझ सकते हैं-
मार्च- अप्रैल -- चैत्र (चैत)
अप्रैल- मई -- वैशाख (वैसाख)
मई- जून -- ज्येष्ठ (जेठ)
जून- जुलाई -- आषाढ़ (आसाढ़)
जुलाई- अगस्त -- श्रावण (सावन)
अगस्त- सितम्बर -- भाद्रपद (भादो)
सितम्बर- अक्टूबर -- अश्विन (क्वार)
अक्टूबर-नवम्बर -- कार्तिक (कातिक)
नवम्बर- दिसम्बर -- मार्गशीर्ष (अगहन)
दिसम्बर- जनवरी -- पौष (पूस)
जनवरी- फरवरी -- माघ
फरवरी- मार्च -- फाल्गुन (फागुन)
नव वर्ष ज़रूर मनाएं परन्तु इस बार ११ अप्रैल को हर्षोल्लास के साथ ताकि दुनिया को भी पता चले कि हमें अपनी संस्कृति जान से ज्यादा प्यारी है !
जय भारत !
• राजीव पाल/फ़ेसबुक
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