मैया मेरी

कीर्तन
एक बात मैया मेरी याद रखना...मन्जू गोपालन/श्री सनातन धर्म महिला समिति, कीर्तन स्थान: बाग मुज़फ़्फ़र खां, आगरा यहां क्लिक करके यू ट्यूब पर देखिए मैया मेरी

Thursday, October 29, 2009

पढ़ाई

लाभदायक है पढ़ने की आदत
प्रायः अधिकांश महिलाएं पढ़ने के मामले में यही शिकायत करती हैं कि क्या करें, पढ़ने के लिए समय ही नहीं मिलता! कुछ महिलाओं का कहना है कि रोज अखबार पढ़कर ही हमें आखिर हासिल क्या होना है? हमें कौन से कम्पटीशन में बैठना है या किसी परीक्षा की तैयारी करनी है! सुबह से शाम तक घर-बाहर के काम-काज में खटना है। जबकि घरेलू महिलाओं के लिए अखबार पढ़ना भी काफी उपयोगी सिद्ध होता है।

अनगिनत लोग ऐसे हें जिन्हें सुबह जल्दी अखबार पढ़ने को न मिले तो उनकी बेचैनी और परेशानी देखने योग्य होती है। तमाम टीवी समाचार चैनलों और इन्टरनेट के निरन्तर बढ़ते उपयोग के बावजूद दुनिया भर के छोटे-बड़े समाचारों से अवगत होना बहुत आसान हो गया है। परन्तु अखबार पढ़ने का अपना अलग आनन्द है। एक अलग शौक है। अपने आस-पास और देश-विदेश की खबरें, जानकारी, सूचना आदि जिस प्रकार एक अखबार से हमें मिलते हैं वैसे किसी अन्य माध्यम से नहीं मिल पाते। त्वरित व सीधे समाचार-विचार प्रसारण की दृष्टि से भले ही टीवी का अपना विशेष महत्व है पर वह अनेक दृष्टियों से अखबार की जगह नहीं ले सकता। अखबार पढ़ने का एक विशेष सुख होता है।

हमारे यहां पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अखबार पढ़ने के प्रति कम रुझान देखा जाता है। कमोवेश यही हाल हमारी नयी पीढ़ी का भी है। पढ़ने का अवसर मिलने पर वे फिल्म-टीवी, जीवन शैली या महिलाओं सम्बन्धी सामग्री पढ़ने का ही प्रमुखता देते हैं। महिलाओं का सुबह का समय काफी व्यस्तता भरा होता है। चाय, नाश्ता, खाना आदि बनाना, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना, उसके बाद अन्य कामों के साथ-साथ दोपहर और शाम या रात के भोजन की तैयारी करना। जिन घरों में नौकरानी होती है या कामवाली आती है वहां कुछ सुविधा मिल जाती है। पर बचे हुए समय का सही उपयोग नहीं हो पाता है। रात का काफी समय पिछले कुछ वर्षों से सास-बहू या ऐसे ही अन्य टीवी धारावाहिकों की भैंट चढ़ जाता है। पढ़ने का समय ही कहां बचता है। फिर भी ऐसी अनेक महिलाएं हैं जो अपनी व्यस्त दिनचर्या में से भी पढ़ने का सुख पाने के लिए थोड़ा-बहुत समय अवश्य निकाल लेती हैं।

प्रायः अधिकांश महिलाएं पढ़ने के मामले में यही शिकायत करती हैं कि क्या करें, पढ़ने के लिए समय ही नहीं मिलता! कुछ महिलाओं का कहना है कि रोज अखबार पढ़कर ही हमें आखिर हासिल क्या होना है? हमें कौन से कम्पटीशन में बैठना है या किसी परीक्षा की तैयारी करनी है! सुबह से शाम तक घर-बाहर के काम-काज में खटना है। जबकि घरेलू महिलाओं के लिए अखबार पढ़ना भी काफी उपयोगी सिद्ध होता है। घरेलू महिलाओं को कामकाजी महिलाओं की अपेक्षा कहीं अधिक समय घर में ही गुजारना पड़ता है। बाकी दुनिया से उनका सम्बन्ध अखबार, पत्रिकाओं, टीवी, रेडियो आदि से ही जुड़ा रह सकता है। अपने आसपास की घटनाओं के साथ-साथ देश-विदेश की घटनाओं से अवगत होना हमें जागरूक और एक जिम्मेदार नागरिक बनाता है।

संयुक्त परिवारों के अभाव में घरेलू महिला आज पहले की अपेक्षा कम सुरक्षित हैं। ठग, उठाईगीर, चोर और अन्य असामाजिक तत्व या अपराधी आज पहले की अपेक्षा अधिक सक्रिय हैं। वे अपना उल्लू सीधा करने के लिए तरह-तरह की नयी-नयी तरकीबें आजमाते रहते हैं। लगभग रोज ही अखबारों में इस प्रकार की घटनाओं के समाचार संक्षेप में या विस्तार से उन असामाजिक तत्वों द्वारा अपनाए गये तरीकों की जानकारी के साथ छपते रहते हैं।

ऐसे समाचार घरेलू महिलाओं को जागरूक बनाने के साथ-साथ सावधान भी करते हैं। जरूरी नहीं कि कोई सारे काम छोड़कर सुबह-सुबह अखबार लेकर बैठ जाए। यदि ऐसा किया जाए तो पूरे परिवार की दिनचर्या ही बदल जाएगी और अनेक प्रकार की परेशानियां सामने आ खड़ी होंगी। सब अस्तव्यस्त हो जाएगा। अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाते हुए प्रतिदिन कुछ समय अखबार, पत्रिकाएं, अच्छी उपयोगी पुस्तकें पढ़ने निकालना एक अच्छी आदत बन सकती है। इसे अपनी दिनचर्या में मामूली फेरबदल करके असानी से हासिल किया जा सकता है।

यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि बहुत पढ़ लिए और अब पढ़ने में समय क्यों बरबाद करे। ज्यादा पढ़कर करना भी क्या है! अनेक महिलाएं अखबार-पत्रिकाओं में विशेष रूप से भविष्य फल, फैशन, फिल्म-टीवी, सौंदर्य, व्यंजन विधियां, कविता-कहानी आदि विविध सामग्री पढ़ने तक ही सीमित रहती हैं। एक अन्य आकर्षण होता है-सेल या डिस्काउंट के विज्ञापनों का। हालांकि यह भी ग्राहकों को मूर्ख बनाने के चालाकी भरे तरीके हैं। सामान्य ज्ञान, अपने आसपास की छोटी-बड़ी घटनाओं की जानकारी, देश-विदेश की खबरें, फीचर, लेख आदि के साथ-साथ अन्य सामयिक सामग्री की प्रायः अनदेखी की जाती है।

सामान्य ज्ञान के अभाव में प्रायः चार लोगों के बीच नजरें चुरानी पड़ती हैं या गलत जानकारी प्रस्तुत करने पर मजाक का पात्र भी बनना पड़ता है। अनेक क्षेत्रों में महिलाएं पुरुषों के बराबर हैं और कुछ क्षेत्रों में उनसे भी आगे हैं। सामान्य ज्ञान, अपने आस-पास के परिवेश और घटनाक्रम से शिक्षित होने पर भी पिछड़ी हुई हैं। सामाजिक विषयों पर चर्चा करना उन्हें प्रायः जमता नहीं है। राजनीति, खेल, व्यवसाय, अर्थ, तकनीक, दूरसंचार, स्वास्थ्य, विभिन्न गतिविधियों आदि के बारे में जानने के प्रति रुचि के अभाव के कारण उनका दायरा सौदर्य, पाक कला, फिल्म-टीवी, फैशन, गृहसज्जा, भविष्य फल आदि तक ही सीमित होकर रह जाता है। सामाजिक-आथिक मुद्दों के बारे में उन्हें तनिक भी जानकारी नहीं हो पाती।

पढ़ने की आदत महिला, पुरुष, युवा, किशोर, प्रौढ़, वृद्ध यानी हर उम्र के लोगों के लिए विभिन्न प्रकार से उपयोगी सिद्ध होती है। नौकरी-व्यवसाय ही नहीं जीवन के हर क्षेत्र में यह पढ़ने की आदत कम या अधिक काम ही आती है। एक आम उपभेक्ता के नाते भी पढ़ने और प्ढ़ते रहने की आदत बहुत काम आती है। पढ़ने और मनन करने की आदत के कारण ही अनगिनत लोग मशहूर लेखक, पत्रकार आदि सृजनशील व्यक्ति बनाया है। देश में तमाम पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं, इन्टरनेट पर अनेक पोर्टल हैं जिन्हें नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए विविध स्तरीय सामग्री की आवश्यकता बनी रहती है।

पढ़ते-पढ़ते लिखने को प्रेरित होकर अनेक महिला-पुरुष लेखक बन गये और वे घर बैठे पर्याप्त धन और नाम भी कमा रहे हैं। बिना पूंजी लगाए, बिना कार्यालय या वर्कशॉप खोले वे अपना काम अपनी सुविधा के अनुसार कर रहे हैं। इस प्रकार के कार्य से जहां सृजनशीलता के साथ आत्मसन्तुष्टि सम्मान तो मिलता ही है, यह धन की प्राप्ति का जरिया भी बन जाता है। यही नहीं कैरियर की दृष्टि से भी पढ़ने-लिखने की आदत बहुत उपयोगी सिद्ध होती है।
टी.सी. चन्दर/प्रभासाक्षी

द्वारका में भजन-कीर्तन

द्वारका में मंजू गोपालन और साथियों द्वारा भजन-कीर्तन
द्वारका (नयी दिल्ली) स्थित हिमालय अपार्टमेंट्स में भजन-कीर्तन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। श्री विपिन पाण्डेय के निवास पर सोमवार, २६ अक्टूबर को श्री सनातन धर्म महिला समिति के तत्वावधान में आयोजित इस धार्मिक कार्यक्रम में सोसायटी निवासी और अन्य लोग उपस्थित थे। क्षेत्र की जानीमानी लोक गायिका मंजू गोपालन और उनके साथियों द्वारा प्रस्तुत भजनों का लोगों ने भरपूर आनन्द लिया।
लगभग ३ घण्टे चले इस कार्यक्रम में हिन्दी-ब्रज भाषा में जागो जागो ज्वाला माई, कृष्णा-कृष्णा मैं पुकारूं, कान्हा खो गया आदि अनेक भजन प्रस्तुत किये गये।
इस अवसर पर प्रसाद और विशेष रूप से भन्डारे का आयोजन भी किया गया था। द्वारका में कई कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुकीं श्री सनातन धर्म महिला समिति का ’हिमालय’ में यह पहला कार्यक्रम था। अब जल्दी ही द्वारका क्षेत्र में श्री सनातन धर्म महिला समिति के तत्वावधान में इस प्रकार के अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा।
प्रस्तुति: विशाल

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